Natural Substitute For Precious Gems

रत्नों का प्रभावशाली विकल्प वनस्पतियाँ ।।रत्न बहुत कीमती होते है इसलिए कुछ अचूक वननस्पति के उपाय दे रहा हैं। आज मैं आपको ऐसी प्रभावशाली वनस्पतियो के बारे मे बता रहा हूँ जो रत्नों के समान ही प्रभावशाली हैं।चूँकि रत्न काफी बहुमूल्य होते हैं अतः निर्धनो की पहुच से दूर होते हैं। रत्नों की असली नकली की पहचान की भी समस्या आती है ।प्रायः लोग धोखा भी खाते हैं।

1~बेल~ माणिक्य सूर्य का अनुकूल रत्न है।इसका उपरत्न तामड़ा या कन्टकिज है।इसके स्थान पर बेल की जड़ को प्रयुक्त किया जा सकता है।बेल की जड़ माणिक्य रत्न के समान ही फल प्रदान करती है।बिल्व की जड़ को गुलाबी डोरे से बांध कर पीली धातु मे गले या बाजू मे धारण करे। बेल (ईगल मारमेलोस)रूटेसी कुल का सर्व परिचित पौधा है।

2~शतावर~ शतावर की जड़ मोती की भाति फलदायी होती है।चन्द्रमा का रत्न मोती व उपरत्न गोदन्ती या चंद्रकांत है।शतावर की जड़ को सफेद कपड़े मे लपेट कर सोमवार को धारण करे ।इसे चांदी मे भी पहना जा सकता है।शतावर (एस्पारागस रेसीमोस)लिलिएसी कुल का कन्दीय पौधा है।

3~अनन्तमूल~ मूंगा मंगल ग्रह का अनुकूल रत्न है।इसके स्थान पर अनन्तमूल की जड़ धारण किया जा सकता है।इसे मंगल वार को लाल कपड़े मे बांध कर या ताँबे के ताबीज मे डालकर लाल धागे मे गले या बाजू मे पहने।अनन्तमूल (हेमीडेस्मस इंडीकस)पेरीप्लोकेसी कुल की फैलने वाली झाड़ी है।

4~विधारा~ विधारा की जड़ पन्ना रत्न के समान फलदायी है।इसे हरे डोरे से याहरे कपड़े मे बाध कर पहने।विधारा को धाव पत्ता भी कहते हैं।विधारा कांवोलवुलेसी कुल की झाड़ी है।

5~केला~ पुखराज के स्थान पर केले की जड़ को धारण किया जा सकता है।केले की जड़ को गुरुवार को पीले डोरे से स्वर्ण के ताबीज मे धारण करे।केला मुसेसेसी।कुल का सर्व परिचित पौधा है।

6~मजिष्ठ या मजीठ~ मजीष्ठ की जड़ कीमती रत्न हिरा के समान फल दायी है।इसे चांदी के ताबीज मे सफेद सफेद डोरे या चांदी की चेंन मे शुक्रवार को पहने।मजीष्ठ(रुबिया कॉर्डिफोलिया) रुबिएसी कुल का शाकिय पौधा है।

7~बिछुआ~ नीलम के स्थान पर बिछुआ की जड़ को धारण करे।बिछुआ (मार्टीनिया एनुआ)एस्टेरेसी कुल का शाकीय पौधा है

8~सफेद चन्दन~ गोमेद के स्थान पर इसे धारण के सकते है।

9~असगन्ध~ लहसुनिया के स्थान पर असगन्ध की जड़ को गुरु वार को काले कपड़े मे बाध कर पहने। यह सोलेनेसी कुल का शाकीय पौधा है।श्री राधे।।।सिर्फ गुरु कृपा केवलं।।